पत्र लेखन प्राथमिक कक्षाओं में हिन्दी पत्र लेखनपत्र क्या, क्यों और कैसे ?Letter Writing in Hindiसंजय कुमारYouTube Facebook Gmail सारांश |
प्राथमिक कक्षाओं में हिन्दी पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण उप-विषय है। यदि प्रारम्भ में ही इस उप-विषय पर विस्तृत और व्यवहारिक कार्य कर लिया जाये तो विद्यार्थी इसे सरलता से सीख जाते हैं। अध्यापक अपने ढंग से सीखने- सीखाने की प्रक्रिया को रोचक बना सकता है। उसे पत्र लेखन की पूरी जानकारी होना आवश्यक है। इस क्रम में यह लेख एक संसाधन सिद्ध होगा। माता-पिता और विद्यार्थी भी इस लेख से अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं। यह लेख पत्र-लेखन में हुए नवाचारी परिवर्तनों को प्रस्तुत करता है। यदि आप पत्र लेखन के नवीन विषय सुझा सकतें हैं या जानना चाहते हैं? तो कृपया टिप्पणी में अवश्य लिखें। लेख कैसा लगा बताना न भूलें।
पत्र लेखन
पत्र एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपना सन्देश और विचार लिखित रूप में दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाते हैं। संचार के नवीन एवम् क्रांतिकारी माध्यमों के आगमन के पश्चात निजी प्रकार के पत्रों का प्रयोग कम हुआ है। बंद नहीं। अन्य प्रकार के पत्रों का चलन आज भी जारी है।
पत्र लेखन मात्र एक प्रक्रिया नहीं बल्कि, भाषागत कौशलों के विकास का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह नियंत्रण में रह कर प्रभावी तरीके से अभिव्यक्ति का माध्यम है। इसके अभ्यास से विद्यार्थी कम समय और स्थान में सारगर्भित रूप में अपने विचार प्रकट करना सीख जाता है।
पत्र लेखन एक कौशल है। इसमें निपुणता की कमी तब खलती है, जब पत्र लिखते समय यह पूछतें हैं “अब इसके आगे क्या लिखूं?” इसे सिर्फ भाषा का एक अध्याय मान कर पढ़ना और पढ़ाना अर्थहीन क्रिया है।
पत्र किसे लिखते है?
हम सभी आवश्यकतानुसार पत्र अपने घर-परिवार, मित्रों, सम्बधियों, सहकर्मियों, संस्थानों, अधिकारीयों, जनप्रतिनिधियों और सम्पादक आदि को लिखते हैं।
पत्र क्यों लिखते है?
प्राय: पत्र लिखने का कोई न कोई कारण होता है। जैसे: सूचना, बधाई, धन्यवाद, निमंत्रण देने के लिए, और सम्वेदना, सद्भावना, खेद प्रदर्शित करने के लिए, तथा शिकायत, मांग प्रकट करने हेतु। कई बार बस मन में आया तो पत्र लिख दिया। और हाँ, कक्षा में सीखने के लिए कई बार लिखते हैं।
पत्र प्रारूप के अनुसार क्यों?
यह सवाल उठता होगा कि पत्र लिखने का निर्धारित प्रारूप क्यों? निजी पत्र भी प्रारूप में, ऐसा क्यों? कल्पना कीजिये आपको 10 पत्र प्राप्त हुए हैं। सभी निजी हैं। अलग-अलग या कहें किसी प्रारूप में नहीं हैं। अब उन्हें पढ़ने का और उनमे प्रेषित विचार को समझने का कोई क्रम नहीं उभरेगा। इन्हें पढ़ने और समझने में समय अधिक लगेगा और श्रम भी बढ़ जायेगा। इसके विपरीत समान प्रारूप में लिखे पत्रों में समय और श्रम कम लगेगा। एकरूपता के कारण एकाग्रता बढ़ेगी और प्रेषित विचार को समझने का अवसर मिलेगा। इसलिए पत्र के प्रारूप में समानता पर बल दिया जाता है। पत्र की भाषा और उसकी शैली में समानता का सवाल नहीं उठता।परन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि इनमें समानता नहीं होनी चाहिए। पत्र के प्रकार के अनुसार उनकी भाषा और शैली समान हो सकती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यार्थियों को एक प्रारूप के साथ स्वतंत्र कर दिया जाये। यहाँ उन्हें यह कहना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पत्र लिखने के तरीके समय के साथ बदलते रहते हैं और अगर आप कोई नया और बेहतर तरीका बना सको तो सबको फायदा होगा।
प्रभावी पत्र कैसे?
पत्र सभी अच्छे होतें हैं। प्राय: सूचनाओं और विचारों को प्रकट करते हैं। पत्र लेखन की भाषा, शैली और प्रारूप उसे प्रभावकारी या प्रभावहीन बनाते हैं।मज़ेदार बात यह है कि पत्र लेखन की भाषा, शैली और प्रारूप में व्यक्तिक विभिन्नता के कारण विविद्ता अत्यधिक होती है। पत्र लेखन कला है। इसे सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। परन्तु फिर भी पत्र की कुछ विशेषताएं प्रभाव छोड़ती हैं।जैसे:
1. सरल भाषा 2. भाषा की ग्राह्यता
3. भाषा की शैली
4. विचारों की स्पष्टता
5. विचारों का प्रस्तुतिकरण
6. पत्र का सही प्रारूप
इन सब विशेषताओं के साथ पत्र में स्वभाविकता और व्यवहारिकता का समावेश हो जाये तो प्रभाव बढ़ जाता है। यह अध्यापक के शिक्षण कौशलों पर निर्भर करता है। वह चाहे तो इसे कलात्मक बना दे या मशीनी प्रक्रिया।
पत्र के प्रकार
पत्र विभिन्न प्रकार के होते हैं। भेजे जाने वाले व्यक्ति, प्रेषित किये जाने वाले विचार, और कारण से इनके प्रकार उभरने लगते हैं।मुख्य तौर पर पत्रों को दो भागों में बाँट सकते हैं।
1. औपचारिक पत्र 2. अनौपचारिक पत्र
समझने-समझाने में सुविधा के लिए इनका विभाजन इस प्रकार से भी किया जा सकता है।
1. निजी पत्र
2. प्रार्थना पत्र
3. व्यवसायिक पत्र
4. सरकारी पत्र
5. खुला पत्र
पत्र प्रारूप में परिवर्तन
पत्र लेखन की शैली और प्रारूप में परिवर्तन होते रहते है। वर्तमान में कंप्यूटर पर सुविधा के लिए प्रारूप बिल्कुल साधारण कर दिया गया है। प्रारम्भ से लेकर अंत तक सभी पंक्तियाँ बाँई तरफ से लिखी जा रही हैं। विराम चिन्हों का प्रयोग भी नहीं किया जा रहा है। परन्तु व्यक्तिगत रूप से यह प्रतीत होता है कि अगर विराम चिन्हों का प्रयोग कर लिया जाए तो प्रारूप गलत नहीं होना चाहिए। क्योंकि भाषा व्याकरण के अनुसार लिखने से प्रभाव बढ़ता है। लेकिन विराम चिन्हों का प्रयोग न होने पर भी पत्र को गलत नहीं कहा जा सकता।
पत्र लेखन में नवाचार
पत्र लेखन को एक भाषाई कार्य मान कर नहीं किया जाना चाहिए। यह मात्र परीक्षा में लिखने और अंक पाने का साधन मात्र नहीं है। इसमें कलात्मकता का समावेश हो जाए तो यह भाषा कौशलों में सुधार करता ही है पर साथ ही यह एक विधा का रूप ले लेता है। इसलिए विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों पर पत्र लिखने का अभ्यास करवाना चाहिए। पत्र लेखन के अवसरों का निर्माण करना चाहिए।
औपचारिक पत्र: नया प्रारूप
अधिकारीयों, मंत्रियों, प्रतिनिधियों, संपादकों तथा संस्थानों को लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। इन्हें निम्न प्रारूप में लिखा जाता है।
1. भेजने वाले का पता 2. दिनांक
3. पत्र प्रापक का पता
4. विषय
5. सम्बोधन
6. विषयवस्तु
7. समापन
8. आत्मनिर्देश/ स्वनिर्देश
महत्वपूर्ण लेख :
औपचारिक पत्र का एक उदाहरण:
निकुंजगाँव म्याणा, डाकघर ममलीग
तहसील कंडाघाट, जिला सोलन, हि.प्र.
दिनांक 15-5-2018
सेवा में
कनिष्ट अभियंता
जल एवम सिंचाई विभाग सायरीघाट
तहसील कंडाघाट, जिला सोलन
विषय: जल की सही आपूर्ति हेतु।
महोदय
मैं, निकुंज, गाँव म्याणा में रहता हूँ। यह गाँव ग्राम पंचायत ममलीग में पड़ता है। मेरे गाँव में जल एवम सिंचाई विभाग द्वारा जल पहुँचाया जाता है।
पिछले 15 दिनों से जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। आजकल गर्मियां है और जल के बिना बहुत मुश्किल हो रही है। गाँव के पास एक कुआं है। उसमें पूरा गाँव पानी भरता है। उसमें भी पानी नहीं मिल रहा है। सभी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।
ऐसा लगता है, हमारे गाँव तक आने वाली पाईप कहीं पर टूट गई है। अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे गाँव तक आने वाली पाईप लाइन को एक बार देख कर ठीक करवा दें। ताकि मेरे गाँव में जल संकट की समस्या समाप्त हो जाये। आपकी महान कृपा होगी।
भवदीय
निकुंज
अनौपचारिक पत्र: नया प्रारूप
परिवार, सगे-सम्बन्धियों तथा मित्रों को लिखे जाने वाले पत्र अनौपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। इन्हें निम्न प्रारूप में लिखा जाता है।
1. भेजने वाले का पता
2. दिनांक
3. सम्बोधन
4. अभिवादन
5. विषयवस्तु
6. समापन
7. प्राप्तकर्ता से सम्बन्ध
8. प्रेषक का नाम
अनौपचारिक पत्र का एक उदाहरण:
निकुंजगाँव म्याणा, डाकघर ममलीग
तहसील कंडाघाट, जिला सोलन, हि.प्र.
दिनांक 15-5-2018
प्रिय दादा जी
चरण वंदना
हम सब घर पर ठीक-ठाक हैं।आप कैसे हैं? आशा करता हूँ, आप भी कुशल होंगे। मैं आजकल चित्रकला प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहा हूँ। बहुत मज़ा आ रहा है।
आपको एक बात बतानी थी कि कल राधा के दादा जी जागरण के लिए बुलाने आये थे। जागरण 27 मई, 2018 को है। सभी को आने को कहा है। कह रहे थे कि आपको जरूर बुलाना। इसलिए मैंने सोचा क्यों न आपको एक पत्र लिखूं और बुला लूँ।
आप शनिवार को ही आ जाना। मैं आपके साथ ही जागरण में जाऊँगा। हाँ, आते समय केले जरूर लाना। आना मत भूलना। मैं इंतज़ार करूंगा।
आपका पोता
निकुंज
प्राथमिक कक्षाओं में पत्र लेखन को सरल रूप में सीखाया जाना चाहिए। यहाँ सरल का अर्थ है कि पत्र लेखन का अभ्यास आस-पास उपस्थित घटनाओं,विषयों और आवश्यकताओं पर सरल भाषा में करवाया जाये। इसे एक मशीनी प्रक्रिया होने से बचाना हुनरमंद शिक्षक जानता है। यह कठिन कार्य नहीं, इसे सृजनशील कार्य में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
आपकी टिप्णियाँ अगली पोस्ट के लिए उत्साह बढाएंगी। इससे सम्बन्धित कोई सवाल हो तो आप पूछ सकते हैं। पत्र लेखन पर और पोस्ट तैयार कर रहा हूँ। जो बिलकुल संक्षिप्त होंगी साथ ही रोचक विषयों पर आधारित पत्र कैसे सीखें -सीखाएं पर बल रहेगा। इस बारे अपनी राय अवश्य लिखें टिप्पणी के रूप में।
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