“Bag Free Day” Some Activities । बिना बस्ते का दिन, कुछ गतिविधियाँ
संजय कुमार
@sktkgt
BAG FREE DAY ACTIVITIES |
सारांश
शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न नवाचारों के मध्य एक सृजनशील प्रयास किया गया है। जिसे हम इस वर्ष से बिना बस्ते, ‘Bag Free Day’ के दिन के रूप में जानेंगे। इस दिन पाठशाला में बच्चों की प्रकृति के अनुरूप उनके शौक ओर रुचियों के हिसाब से गतिविधियाँ करवाई जायेंगी। महीने में एक दिन विद्यार्थी किताबों का भारी बस्ता उठाने से मुक्त हो जायेंगे। उनको अपनी पसंद के अनुसार विभिन्न सृजनशील गतिविधियों को करने का मौका मिलेगा। कुछ चुनिन्दा गतिविधियों का दोहराव नीरसता बढ़ा सकता है। बच्चों को विभिन्नता और नवीनता पसंद होती है। इसी सन्दर्भ में यहाँ कुछ सम्भावित गतिविधियों को उपलब्ध किया गया है। यह गतिविधियां अध्यापक को पाठशाला में बिना बैग का दिन नियोजित करने में सहायता करेंगी। यह दिन विद्यार्थी के लिए विशेष तभी बन पायेगा, जब उसे उसकी रूचिनुसार कार्य करने का मौका मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश की राजकीय पाठशालाओं में मई, 2018 के चौथे शनिवार से “बिना बैग का दिन “ Bag Free Day का शुभारम्भ किया गया है। अब प्रत्येक महीने के चौथे शनिवार को बच्चे बिना बैग पाठशाला आएंगे।
बिना बैग पाठशाला का दिन । Bag Free Day
शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न नवाचारों के मध्य एक सृजनशील प्रयास किया गया है। जिसे हम इस वर्ष से बिना बस्ते के दिन के रूप में जानेंगे। इस दिन विद्यार्थी पाठशाला आते हुए अपने बस्ते नहीं लायेंगे। इस दिन वे सिर्फ सह-शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेंगे। इस दिन पाठशाला में बच्चों की प्रकृति के अनुरूप उनके शौक ओर रुचियों के हिसाब से गतिविधियाँ करवाई जायेंगी। इस दिन पूर्णतया शैक्षिक-गतिविधियों पर ही बल नहीं रहेगा। जैसा की अन्य दिनों में होता है। इस दिन उनको गृह कार्य नहीं मिलेगा। वे परिवार की अन्य गतिविधियों में शामिल हो व्यवहारिक समझ को मजबूत कर सकेंगे।
यह दिन उनको बिल्कुल स्वतंत्र रूप से बिना किसी बाह्य या औपचारिक प्रतिबन्ध के कार्य करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्हें जीवन के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रह सीखने का अवसर उपलब्ध करवाएगा। यह अध्यापक को विद्यार्थियों में स्वस्थ व्यक्तित्व विकास सम्भव बनाने के लिए एक बेहतर अवसर साबित होगा।
इस नई शुरुआत के द्वारा पाठशालाओं के वातावरण में परिवर्तन और नीरसता को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। यह उन विद्यार्थियों के लिए आकर्षण का दिन बन सकेगा जिनकी शैक्षिक-गतिविधियों में रूचि कम है । उनको अपनी रुचिनुसार कौशलों को निखारने का अवसर मिलेगा।
महीने में एक दिन विद्यार्थी किताबों का भारी बस्ता उठाने से मुक्त हो जायेंगे। उनको अपनी पसंद के अनुसार विभिन्न सृजनशील गतिविधियों को करने का मौका मिलेगा। इनमें ऐसे कार्य शामिल होंगे जो उनको सोचने-विचारने पर विवश करेंगे। इस दिन प्रार्थनासभा, चित्रकला, खेलें और एस. एम. सी. के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी। यह लगभग अध्यापक पर निर्भर रहेगा कि वे किस प्रकार से इस दिन का नियोजन करेंगें। ताकि विद्यार्थियों की समझ को सृजनशीलता से पुख्ता किया जा सके। ऐसा नहीं है कि पहले यह गतिविधियां पाठशाला में नहीं होती थीं। परन्तु कुछ विशेष अवसरों या बालसभा के दिन ही यह सम्भव हो पाती थीं। अब यह निश्चित समय पर निर्धारित हो गईं हैं।
बिना बस्ते के दिन सम्भावित गतिविधियाँ
महीने के चौथे शनिवार को विद्यार्थी बिना बस्ते पाठशाला आएंगे। अत: यह निर्धारित कर लेना कि उस दिन क्या किया जायेगा लाभदायक रहेगा। कुछ चुनिन्दा गतिविधियों का दोहराव नीरसता बढ़ा सकता है। बच्चों को विभिन्नता और नवीनता पसंद होती है। इसी सन्दर्भ में यहाँ कुछ सम्भावित गतिविधियों को उपलब्ध किया गया है। यह गतिविधियां अध्यापक को पाठशाला में बिना बैग का दिन नियोजित करने में सहायता करेंगी। यह दिन विद्यार्थी के लिए विशेष तभी बन पायेगा, जब उसे उसकी रूचिनुसार कार्य करने का मौका मिलेगा।
सम्भावित गतिविधियों की सूचि
चित्रकला- प्रत्येक विद्यार्थी अपने आप चित्र बना सकता है। समूह को भी चित्र निर्माण का कार्य दिया जा सकता है। यह विद्यार्थियों को स्वतंत्र छोड़ कर या थीम निर्धारित करके भी आयोजित किया जा सकता है। चित्र निर्माण के पश्चात् विद्यार्थी से चर्चा की जा सकती है कि उसने वह चित्र क्यों बनाया और उसमें क्या दर्शाया गया है? इन चित्रों की चित्रकला प्रदर्शनी भी आयोजित की जा सकती है। चित्रकला में नवीन तरीकों से डिज़ाइन बनाना तथा चित्र बनाना भी सीखाया जा सकता है।
सांस्कृतिक कार्य- विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जा सकती हैं। जिसमें नाटक, समूहगान, एकल गान¸ माइम, अन्ताक्षरी,पहाड़ी नृत्य, गिद्दा, कविता पाठ और मिमिकरी और स्थानीय एवम् नवीन वाद्ययंत्र बजाना आदि का आयोजन किया जा सकता है।
रोचक खेल- विभिन्न स्थापित खेलों के साथ छोटे-छोटे खेलों का आयोजन हो सकता है। जैसे- चम्मच दौड़, बोरी दौड़ (sack race), डडू दौड़ (बैठ कर दौड़ना),गुब्बारा फोड़, जलेबी दौड़, कुर्सी दौड़, रस्साकस्सी, मटका फोड़ आदि।
स्थानीय भ्रमण- इस दिन का प्रयोग क्षेत्रीय भ्रमण के लिए भी किया जा सकता है । आस-पास के महत्वपूर्ण स्थानों पर जाया जा सकता है। जैसे अस्पताल, पंचायत घर, चिड़ियाघर, घराट, जल स्त्रोत, दूकान, मशरूम उत्पादन केंद्र, खेत, संग्रहालय, स्थानीय महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक स्थल, इस स्थलों पर भ्रमण के बाद रिपोर्ट भी बनाई जा सकती है।
विशेषज्ञ अथवा विशेष व्यक्ति से बातचीत- इस दिन किसी विशेषज्ञ या सम्मानित स्थानीय व्यक्ति को बुला कर उनसे बच्चों की बातचीत करवाई जा सकती है। जैसे डॉक्टर, पंचायत प्रतिनिधि या प्रधान, समुदाय के विशिष्ट व्यक्ति, अन्य पाठशालाओं के अध्यापक, शिक्षा अधिकारी एवम् कार्यकर्त्ता, कोई अन्य विशेषज्ञ आदि। इनसे चर्चा का विषय विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन, विशिष्ट व्यक्ति के कार्यों और उनके जीवन की कहानी हो सकते हैं।
निर्माण कार्य- कार्य करने से विद्यार्थी अधिक सीखता है और लम्बे समय तक याद रख पाता है। अत: मॉडल, कोलाज़, टी. एल. एम. बनाना, क्राफ्ट का सामान बनाना भी उचित जान पड़ता है। क्ले से विभिन्न वस्तुएं, बेकार सामग्री से उत्पाद बनाना, कागज़ से सजाने का सामान बनाना, पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाना, माचिस की तीलियों से विभिन्न आकृतियाँ बनाना, त्योहारों व् महत्वपूर्ण दिनों के लिए कार्ड बनाना और पीपल के पत्ते पर चित्रकारी करवाना भी उचित रहेगा।
शैक्षिक गतिविधियाँ- कुछ गतिविधियाँ विषय से सीधी जुड़ीं होती हैं पर मनोरंजन से भरपूर होती हैं। उनमें चुनौती के साथ मिलकर कार्य करना आवश्यक होता है। विद्यार्थी को इन्हें करने में मज़ा आता है। इसलिए इस दिन का फायदा उठाया जा सकता है। इन गतिविधियों में अपने घर का बजट बनाना, प्रश्नोतरी, भाषण, वाद-विवाद, किसी भी विषय पर तत्काल बोलना, कहानी कथन, सबकी कहानी बनाना, विषयगत गतिविधियाँ, अंकों-शब्दों की अन्ताक्षरी, कोई रोचक पुस्तक पढ़ना, पुस्तकालय रख-रखाव, मानचित्र, ग्लोब से गतिविधियाँ और व्याकरण सम्बन्धी खेल हो सकते हैं।
सामाजिक कार्य- इस दिन आस-पास के स्थानों में सामाजिक कार्य भी किये जा सकते हैं। सफाई करना, रास्तों का निर्माण, जल स्त्रोतों की सफाई, आस-पास पहाड़ियों पर तालाब बनाना, पाठशाला का सौन्दर्यकरण, पेड़-पौधे लगाना उनकी देखभाल करना,
ध्यान रखने वाली बातें (सावधानियां)
1. इस दिन के लिए पूर्व में ही नियोजन हो जाना चाहिए। यह कार्य बच्चों के सहयोग से हो तो बहुत उपयोगी होगा।
2. विद्यार्थियों को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
3. विद्यार्थी इस दिन स्वतंत्र हों। उन्हें सिर्फ निर्देशित किया जाये ताकि गतिविधियाँ ठीक प्रकार से चलें।
4. बच्चों की गतिविधियों पर आंशिक नियंत्रण रहना चाहिए ताकि वे आनंद ले सकें।
5. सभी प्रकार के प्रबंध विद्यार्थी स्वयं करें। इससे उनमें प्रबंधन की क्षमता उत्पन्न होगी।
6. इस दिन की सार्थकता के विषय में एस.एम.सी. से अवश्य ही चर्चा की जानी चाहिए। ताकि समाज में इस दिन के उद्देश्यों की स्पष्ट समझ हो।
7. बिना बस्ते का दिन। Bag Free Day का प्रचार एक व्यवहारिक तरह से सीखने के अवसर के रूप में होना चाहिए। इसके लिए पाठशाला को ही प्रयास करना होगा।
8. यह दिन पूर्णतय शैक्षिक दिन का विकल्प नहीं है। यह व्यवहारिक तरीकों से सीखने का अवसर है। यह समझ बच्चों में तथा अभिभावकों में होना आवश्यक है। इसके लिए उन्हें जागरुक करना आवश्यक होगा।
यह लेख अध्यापकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के सन्दर्भ के लिए है। पाठशाला अपनी आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप इस दिन के आयोजन को नियोजित कर सकता है।
आपके पास यदि बिना बस्ते का दिन के लिए नवीन गतिविधि सम्बन्धी जानकारी हो तो अवश्य ही टिप्पणी में लिखें। यह लेख आपको कैसा लगा यह भी अवश्य बताएं।
अन्य संसाधन :
Time Table । प्राथमिक कक्षाओं हेतु समय-सारणी। क्या कैसे ?
आपकी टिप्पणी व् सुझावों का स्वागत है ।
Time Table । प्राथमिक कक्षाओं हेतु समय-सारणी। क्या कैसे ?
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