छात्र पोर्टफोलियो क्या क्यों और कैसे ? Student Portfolio What, Why and How?
संजय कुमार ब्लॉग, फेसबुक पृष्ठ
सारांश
नमूना छात्र पोर्टफोलियो आवरण पृष्ठ लेख के अंत में संलग्न है । विद्यार्थियों द्वारा सम्पन्न कार्यों का उद्देश्यपूर्ण व्यवस्थित संकलन जो विद्यार्थी के उत्तम प्रयासों को दर्शाता है, छात्र पोर्टफोलियो कहलाता है। यह एक फाइल, पैकेट और बैग आदि के आकार का हो सकता है। जिसमें छात्रवार, कक्षावार तथा वर्षवार विद्यार्थियों के उत्कृष्ट कार्यों को सुरक्षित रखा जाता है।
छात्र पोर्टफोलियो
विद्यार्थियों द्वारा सम्पन्न कार्यों का उद्देश्यपूर्ण व्यवस्थित संकलन जो विद्यार्थी के उत्तम प्रयासों को दर्शाता है, छात्र पोर्टफोलियो कहलाता है। यह एक फाइल, पैकेट और बैग आदि के आकार का हो सकता है। जिसमें छात्रवार, कक्षावार तथा वर्षवार विद्यार्थियों के उत्कृष्ट कार्यों को सुरक्षित रखा जाता है।
यह विद्यार्थी द्वारा किये गए कार्यों के साक्ष्य तथा प्रतिदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उसकी उपलब्धियों की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है। सीखने की सम्प्राप्तियों के मद्देनज़र, विद्यार्थी की उपलब्धि में अंतर (Gap) पहचानने में सहायता करता है। वर्तमान उपलब्धि स्तर की जानकारी के साथ छात्र की पिछले वर्षों की तुलना में प्रगति को भी दर्शाता है।
पिछले कुछ वर्षों से छात्र पोर्टफोलियो का महत्व बढ़ रहा है। इसका अर्थ, निर्माण प्रक्रिया, लाभ एवम् सीमाओं को समझना आवश्यक है। सदियों से कागज़, कलम और निर्धारित समय विद्यार्थी की क्षमताओं को आंकने का साधन बना हुआ है। इस प्रक्रिया में यह एक नया आयाम है।
यह विद्यार्थियों की प्राकृतिक प्रवृतियों को दर्शाता है। इसमें विद्यार्थी पर परिणाम का अधिक दबाव नहीं रहता। वह अपनी प्रकृति एवम अभिवृतियों के अनुरूप कार्य करने के लिए स्वतंन्त्र रहता है। इस प्रकार कक्षा से बाहर उसकी कार्य शैलियों को समझने का अवसर मिलता है। उसे अपने कौशलों को प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही जिम्मेदारी की भावना का विकास होता है। अभिभावक भी समझ पाते हैं कि अब शिक्षा का अर्थ सिर्फ किताब और कॉपी तक ही सिमित नहीं है। सफलतम शिक्षा के लिए सीखे हुए को उत्पाद में बदलने की क्षमता अधिक सार्थक एवम् समाजोपयोगी है।
पहले यह सह-संज्ञानात्मक गतिविधियों के प्रतिदर्श के रूप में तैयार किया जाता था। लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए अब इसका प्रयोग संज्ञानात्मक गतिविधियों के संकलन के रूप में करना चलन हो गया है। इसका प्रयोग अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों में समझ के विकास को दर्शाने एवम् जांचने तथा सुधारने के लिए किया जाने लगा है।
छात्र पोर्टफोलियो किसके लिए ?
छात्र पोर्टफोलियो विद्यार्थी के विकास का प्रतिदर्श है। जो उसकी शैक्षिक एवम सह-शैक्षिक उपलब्धियों को निरुपित करता है। यह निम्न हितधारकों को वस्तुस्थिति से अवगत करवाता है।
(1)छात्र (2)अध्यापक (3)अधिकारी (शिक्षा) (4)शोधकर्ता (5)समुदाय (6)समाज
यह दस्तावेज़ उपरोक्त हितधारकों के समक्ष प्रगति के साथ-साथ विद्यार्थी की क्षमताओं एवम सीमाओं/कमजोरियों को प्रस्तुत करता है। विद्यार्थी को उसके द्वारा किये गए कार्यों को दोबारा जांचने और सुधार का अवसर प्रदान करता है। अध्यापक अपनी अनुदेशनात्मक विधियों के प्रभाव का आंकलन कर उनमें सुधार कर सकता है।
छात्र पोर्टफोलियो के प्रकार
छात्र पोर्टफोलियो बहुत पहले से विद्यार्थियों के कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता रहा है। वर्तमान में इसका सर्वमान्य मानक रूप विकास के क्रम में है।
यह विद्यार्थियों के उत्कृष्ठ कार्यों को संकलित करने की प्रक्रिया है। यह विद्यार्थियों की कक्षा, विषय, क्षमताओं, रुचियों तथा पाठशाला में उपस्थित संसाधनों, विभागीय निर्देशों आदि के अनुरूप परिवर्तनशील है। इसे सुविधा के अनुसार दो भागों में बांटा जा सकता है। पर ये विभाजन मानक नहीं। केवल समझने के लिए है।
क) समय के अनुसार
1 अल्पकालीन
2 दीर्घकालीन
ख) स्वरूप के अनुसार
1 विस्तृत
2 विशिष्ट
छात्र पोर्टफोलियो निर्माण प्रक्रिया
(1)उद्देश्य निर्धारित करना (2) प्रारूप तय करना (3) पोर्टफोलियो के लिए चुनाव प्रक्रिया का निर्धारण (4) रख-रखाव (5) प्रदर्शन (6) मूल्यांकन (7) सुधार
पोर्टफोलियो क्यों बनाया जा रहा है? सबसे पहले यह तय किया जाता है। यह चरण पूरी प्रक्रिया को निर्देशित करता है। इसके उपरान्त पोर्टफोलियो में क्या और किस क्रम में संकलित करना है, तय किया जाता है। पोर्टफोलियो में संकलन के लिए प्रविष्टियों का चुनाव किन आधारों पर किया जायेगा यह भी प्रारम्भ में ही निश्चित करना उचित होता है। संकलन के उपरान्त रख-रखाव कैसे किया जाना है? यह निश्चित होना चाहिए। ताकि पूरी पाठशाला में समानता रहे। इन्हें प्रदर्शन के लिए कैसे उपलब्ध किया जायेगा? यह तय करना भी लाभदायक होता है। विद्यार्थियों की उपलब्धियों के स्तर को पहचान कर परिवर्तन एवम् सुधार के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी? यह पहले ही निर्धारित कर लेना आवश्यक होता है।
उपरोक्त सभी चरणों में विद्यार्थियों की सहभागिता अनिवार्य है। अन्यथा छात्र-पोर्टफोलियो की सार्थकता स्थापित नहीं हो पायेगी।
छात्र पोर्टफोलियो में क्या ?
यह एक समस्या है कि छात्र-पोर्टफोलियो में क्या शामिल किया जाए। इसका निर्धारण अध्यापक द्वारा तय उद्देश्य करेंगे। आवश्यकतानुसार विद्यार्थी के प्रत्येक उस उत्कृष्ट कार्य को शामिल किया जा सकता है, जो विद्यार्थी की उपलब्धि को दर्शाता हो। जैसे: लिखित कार्य, चित्रित कार्य, मौखिक उपलब्धि का साक्ष्य, चल-चित्र, तस्वीर, किसी प्रयोग का लिखित साक्ष्य, टेस्ट शीट, व्यवहार पर अध्यापक द्वारा टिप्पणी, प्रमाणपत्र, संस्तुति पत्र, समूह कार्य की रिपोर्ट, समुदाय या स्थानीय निकायों से प्रशंसा पत्र, विशेष क्षमता सम्बन्धी साक्ष्य, खेलों में उपलब्धि सम्बन्धी प्रमाण-पत्र, पाठशाला तथा समाज में विद्यार्थी के योगदान का साक्ष्य, विद्यार्थी द्वारा रचित कविता एवम् कहानी, अध्यापक द्वारा निर्धारित कार्य और प्रोजेक्ट रिपोर्ट, आदि। यह सूचि निर्धारित उद्देश्यों के साथ-साथ अध्यापक एवम् समाज की अपेक्षाओं पर निर्भर करती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यार्थी की क्षमताओं को प्रदर्शित करने वाली प्रत्येक गतिविधि का संकलन होना चाहिए। अन्यथा छात्र-पोर्टफोलियो और परीक्षा में कोई फर्क नहीं रह जाएगा।
छात्र पोर्टफोलियो की सीमायें :
छात्र-पोर्टफोलियो के लाभों के साथ –साथ इसकी कुछ सीमाएं भी है। जिन्हें जानना भी आवश्यक है। जैसे:- (1) आवश्यक संसाधनों को जुटाना (2) उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग (3) निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करना (4) रिकॉर्ड रखना (5) प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों द्वारा लिया जाने वाला समय (6) अध्यापक की सतत सहायता की आवश्यकता (7) बहु-कक्षीय प्रणाली आदि।
यह कार्य विद्यार्थियों, अध्यापको और अभिभावकों को मिल कर करना है न कि मात्र पाठशाला ही जिम्मेदार है। क्योंकि इसमें केवल वही शामिल नहीं जो पाठशाला में सीखा- सिखाया जा रहा है पर वो सब जो एक विद्यार्थी बेहतर ढंग से कर रहा है।
निष्कर्ष
छात्र पोर्टफोलियो विद्यार्थी के प्राकृतिक एवम् अर्जित कौशलों के प्रदर्शन का अवसर है। इस अवसर को अधिक औपचारिकताओं में उलझाने से इसका महत्व कम हो सकता है। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को उसकी रुचि तथा क्षमतानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता प्रदान करना अति आवश्यक है। यह कार्य मात्र विद्यार्थी के लिए नहीं है। इस कार्य में उसके अभिभावकों का सहयोग प्राप्त करना भी एक उद्देश्य है। जिससे वह शिक्षण प्रक्रिया और उसमे हो रहे नवीन प्रयोगों से अनभिज्ञ न रहें। उन्हें उनके बच्चे के द्वारा की जा रही मेहनत का पता चल सके। यह भी जान सके कि पाठशाला कैसे भावी नागरिक को आकार प्रदान कर रही है।
अभी यह प्रक्रिया शुरूआती दौर में है इसमें हर वर्ष अनेक परिवर्तन निश्चित है। इसलिए अधिक औपचारिक होने के स्थान पर विद्यार्थी को केंद्र में रख कर पूरी प्रक्रिया को पूरा करना अधिक लाभकारी होगा।
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छात्र पोर्टफोलियो के लिए नमूना आवरण पृष्ठ
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