किसान के जीवन देते अस्त्र - शस्त्र(Tools of Life)

किसान के जीवन देते अस्त्र - शस्त्र (Tools of Life)



           सदियों के अनुभव औरर अनुभव से निर्मित ये वो अस्त्र -स्शत्र हैं जिनसे किसान ने अनगिनत पीढ़ियों को दो वक्त का अन्न उपलब्ध करवाया है। ये वो सरल मशीन हैं, जिनको आधुनिक तकनीक प्रयोग से बाहर न कर सकी। किसान के लिए ये परिवार के सदस्य से कम नहीं होते। इन्हें देखे-छूए बगैर उसका दिन पूरा नहीं होता। अचरज की बात यह है कि इनका निर्माण इस तकनिक से किया गया है कि अगर थोड़ा भी आकार -प्रकार, कोण बदल जाये तो इनकी कार्यक्षमता में बड़ी कमी आ जाती है।
          हरित क्रांति के ये वो सैनिक हैं, जिनका जिक्र कभी नहीं हुआ। बेशक मशीनों ने तथा नयी तकनीकों ने मदद की पर इनके योगदान को अस्वीकार करना तर्कसंगत नहीं लगता। इनके क्रमिक विकास को नजरंदाज करके किसान को गहराई से नहीं समझा जा सकता । किसान के ये औजार या हथियार कभी किसी विनाशकारी कृत्य के भागीदार कतई नहीं रहें है । न ही भविष्य में इसकी सम्भावना है। परन्तु उल्ट अगर इनको न उठाया जाये तो जरूर भयानाक परिणाम हो सकते हैं। इनको जब भी उठाया गया है, निर्माण ही हुआ है । पर जिस गति से इनके और हाथों के सम्बन्ध में गिरावट आ रही है, उसी गति से फसलें भी खेतों -खलिहानों से रूठ कर दूर जाने लगी है ।
            ये मौन कारीगर देख रहें है विकास के अभिभूत इंसान को , उसकी बदलती फितरत को । उसके गलत कामों के लिए उठते हाथों को देख प्रार्थना करतें हैं कि काश हमें उठा लेता ।

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