Shikari Mata Mandir mandi । शिकारी माता मंदिर न छत टिकती न बर्फ। Shikari Mata Temple, Mandi Himachal Pradesh


शिकारी माता मंदिर न छत टिकती न बर्फ Shikari Mata Mandir

संजय कुमार 
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रहस्यमयी शिकारी माता


shikari mata mandir
maa shikari
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित शिकारी माता मंदिर अतुलनीय प्राकृतिक सुन्दरता और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है यहाँ पहुँचने के लिए मंडी जिला की मनोरम छटा में से गुजरते हुए सड़क मार्ग है इस मार्ग पर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है क्योंकि चारों तरफ की सुन्दरता बरबस ही अपनी ओर खींचती है। रुक-रुक कर ही सफर आगे बढ़ता है। यह मंदिर समुद्र तल से 3359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही साथ ही अलौकिक रहस्यों और प्राकृतिक रोमांच के लिए जाना जाता है।

यात्रा से पहले

shikari mata no snow fall on mata murti
shikari mata temple without roof 
मंदिर से कुछ दुरी तक सड़क पहुंचती है। यहाँ प्रशिक्षित चालक के साथ आना ही उचित होगा। रात्रि के सफर से बच सकें तो जरूर बचना चाहिए। मंदिर पहुँचने से पहले कच्ची सडक पर घने जंगल से हो कर गुजरना जहाँ रोमांचक है वहीं जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। आने से पहले यहाँ के मौसम का पूर्वानुमान जरूर जाँच लेना चाहिए। वर्ष भर कई मर्तबा हिमपात होता है। प्राय: ठण्ड अधिक रहती है । इसलिए गर्म कपड़ों को साथ लाना उचित रहता है। ऊँचाई अधिक होने के कारण साँस लेने में दिक्कत हो सकती है। गर्मियों में ही यहाँ आसानी से आया जा सकता है।

प्राकृतिक सौन्दर्य


forest rest house
 प्रकृति ने खूब दौलत लुटाई है यहाँ। बर्फ के दौरान दर्शनीय घाटियाँ आँखों को तृप्त कर देती हैं। बर्फ पिघलने के साथ ही पहाड़ नहाये से बहार आये दिखते हैं। छोटी-छोटी घास, पहाड़ियों की चोटियों को कस कर पकड़े रहती है। आस-पास चोटियों पर पेड़ नहीं है। ऐसा लगता है, मानो चोटियों ने वृक्षों का लबादा धूप सेकने के लिए हटाया हो। आस्था के साथ-साथ रोमांच की तलाश में कई लोग यहाँ आते हैं। टेंट लगा कर रहते हैं। माता की शरण में प्रकृति के नैसर्गिक रूप का आनंद प्राप्त करते हैं। जबकि यहाँ पर सरायें भी उपलब्ध हैं। जिनमें प्रशासन की इजाज़त से ठहर सकते हैं। टेंटनुमा कुछ दुकानें भी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध हैं। उनका आस-पास सफाई बनाये रखना देखते ही बनता है। सभी लोग यहाँ सफाई ले लिए चौकस रहते है।

रहस्य और मान्यताएं

statues of maan shikari temple
पहाड़ी की चोटी पर आसमान को छूता हुआ यह पवित्र स्थल कई रहस्यों के लिए जाना जाता है। वर्तमान में भी अनबूझ पहेली बना हुआ है। आज तक कोई भी इस मंदिर के उपर छत नहीं लगवा पाया है। यहाँ माता की पत्थर से बनी मूर्तियाँ  नीले आकाश के नीचे शक्ति रूप में विद्यमान रहती हैं। 
यहाँ उपस्थित पुजारी जी से पता चला कि यह बात सच नहीं की खुली छत वाले मंदिर पर बर्फ नहीं पड़ती और मंदिर के ऊपर पक्षी भी नहीं उड़ते। उन्होंने बताया कि बर्फ तो पड़ती है पर मूर्तियों को ढक नहीं पाती। माता की मूर्तियाँ ज्यों की त्यों स्पष्ट बर्फ से उपर रहती हैं। यह चमत्कार ही है कि आस-पास की हर वस्तु बर्फ से ढक जाती है, पर माता की मुर्तियां नहीं।
top hill shikari mata temple
उन्होंने यह भी बताया कि कोई पक्षी माता के मंदिर के उपर से नहीं उड़ता यह भी ठीक नहीं है। ऐसा नहीं है। कौवा माता के मंदिर के उपर आ जाता है। लेकिन विशेषता यह है कि वही इकलौता पक्षी है जो यहाँ आता है। अन्य पक्षी यहाँ नहीं आते।

इतिहास

यह माना जाता है कि मार्कंडेय ऋषि ने यहाँ कई सालों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर माता दुर्गा शक्ति के रूप में प्रकट और यहाँ स्थापित हुईं। इसके पश्चात् पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ वास किया और बिना छत मंदिर का  निर्माण किया। पौराणिक कथाएं बताती हैं कि शिकारी माता मंदिर का इतिहास पांडवों और कौरवों के मध्य द्वापर युग में लड़े गए महाभारत युद्ध के समय का 
यह माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव एक दिन जब आखेट के लिए शिकारी माता जंगल में गए तो उन्हें वहां एक सुंदर हिरन दिखाई दिया। बहुत देर तक उन्होंने उस अद्भुत हिरन का पीछा किया पर वे उसका शिकार करने में सफल न हो सके। अन्तत: वह रहस्यमयी हिरण रहस्यमय रूप में ही जंगल में विलुप्त हो गया।
mysterious shikari mata temple
रात्रिकाल में शिकारी माता की पहाड़ियों में पांडवों को एक महिला की आवाज सुनाई दी। जो यह कह रही थी कि उन्हें उस जगह को खोजना चाहिए जहाँ उनकी (आदिशक्ति) प्रतीकात्मक मूर्तियाँ हैं और उन मूर्तियों को लोगों की पूजा एवम् इच्छापूर्ति हेतू स्थापित करना होगा।
पांडवों ने तुरंत देवी के निर्देशों की अनुपालना की और देवी की इच्छानुसार पत्थर की उन मूर्तियों को ढूँढ कर बिना छत वाले मंदिर की स्थापना की। परन्तु यह ज्ञात नहीं है कि पांडवों ने माता के मंदिर के ऊपर छत का निर्माण क्यों नहीं किया? इसके पश्चात् ही उन्हें उनके राज्य की पुन: प्राप्ति हुई। क्योंकि दुर्गा माता शिकार के रूप में प्रकट हुई थी इसलिए यह शिकारी माता के नाम से जानी गईं।
यह क्षेत्र वन सम्पदा से अटा पड़ा था। यहाँ की दर्शनीय वादियाँ और शांत, स्वच्छ वातावरण वन्य जीवों से भरा पड़ा था। इसलिए शिकारी अक्सर यहाँ शिकार करने आने-जाने लगे। वे माता के मंदिर के पास से आस-पास के जंगल का मुआयना करते थे। शिकार में उन्हें सफलता मिले इसके लिए माता से प्रार्थना करते थे। उन्हें शिकार में कामयाबी भी मिलने लगी। इस तरह यह मंदिर शिकारी माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
सरायें शिकारी माता मंडी हिमाचल
आश्चर्य तो यह है कि इस मदिर पर छत निर्माण का कई बार प्रयास किया गया पर यह सम्भव न हो सका। शिकारी माता की शक्ति के आगे सब विफल ही रहे।  प्रत्येक वर्ष यहाँ हिमपात होता है। परन्तु शिकारी माता के स्थान पर कभी बर्फ नहीं टिकती।  यह चमत्कार नहीं तो क्या है?
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चेतावनी

 यहाँ ख़राब मौसम और हिमपात के दौरान शिकारी माता मंदिर की यात्रा न करें। यदि ऐसा कार्यक्रम हो तो स्थानीय प्रशासन को सूचना अवश्य दें। उनकी सहायता और सलाह पर ही यात्रा आरम्भ करें।



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